हीट वेव-ताप लहर में लू से बचाव

*डॉ.आर.अचल पुलस्तेय

 हीट वेव यानि ताप लहर का तात्पर्य ऐसी गर्मी है जो मनुष्य क्या,सभी जीव-जन्तुओं के लिए काल बना हुआ है। इसका समय मई-जून होता है।जब मई मई-जून के स्वाभाविक ताप 35 डिग्री से ऊपर चढता तब ताप लहर या हीट वेव कहा जाता है।


मौसम विभाग के अनुसार इस साल भी पिछले दो सालों की तरह हीट वेव की संभावना है। हीट वेव यानि ताप लहर का तात्पर्य ऐसी गर्मी है जो मनुष्य क्या,सभी जीव-जन्तुओं के लिए काल बना हुआ है। इसका समय मई-जून होता है।जब मई मई-जून के स्वाभाविक ताप 35 डिग्री से ऊपर चढता तब ताप लहर या हीट वेव कहा जाता है।

दुनिया के विभिन्न क्षेत्र में इसका मानक अलग-अलग होता है। हर जगह के सामान्य तापमान से अधिक होने पर वहाँ तापलहर माना जाता है। सामान्य भाषा में इसे लू भी कहते हैं।

लू या ताप लहर एक खगोलीय सामान्य प्रक्रिया है,इसलिए कमोबेस इसे हर साल झेलना पड़ता है। हम जाते है कि 21 दिसम्बर से सूर्य उत्तरायण होता है। शून्य अंश के ठंड पड़ने लगती जैसे पृथ्वी आगे बढ़ती है वैसे गर्मी बढ़ने लगती है।170 से 180 अंश पर पहुँचते-पहुँचते गर्मी शिखर पर पहुँच जाती है। इसी समय सूर्य की जेट स्ट्रीम किरण के कारण 10-15 हजार की फीट की ऊँचाई पर वायुमण्डल में उच्च दबाव का क्षेत्र बन जाता है,जिससे प्रशान्तमहासागर की लहरों के गर्म विक्षोभ उत्पन्न होता है। इससे उठने वाली हवाएं हीट वेव या तापलहर उत्पन्न बनाती है। यह स्थिति पाँच से पन्द्रह दिनों तक बना रहता है। यह घटना पहले भी हुआ करती थी,परन्तु 1950 के दशक से पृथ्वी के लगभग हर क्षेत्र में हीट वेव लगातार बढ़ता रहा है।

ताप लहरों का अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ता है। वे श्रम उत्पादकता को कम कर सकता हैं, कृषि और औद्योगिक प्रक्रियाओं को बाधित कर बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा सकता हैं। भीषण गर्मी की लहरों के कारण फसलें बर्बाद हो जाती हैं और हाइपरथर्मिया से हजारों लोगों व जीव जन्तुओं की मौत हो जाती है। उन्होंने सूखे जंगल की आग लगने खतरा बढ़ जाता है । गर्मी की लहर को खतरनाक मौसम माना जाता है।इस प्रकार यह मानव ही नहीं पूरे जैव जगत के लिए खतरा होता है।

हटीवेव से एक बड़ा नुकसान यह होता है बादल बनने की प्रक्रिया रुक जाती है। बादलों की कमी से सतह तक पहुँचने वाली लघु-तरंग विकिरण बढ़ जाती है।

ताप लहर का प्रभाव वन क्षेत्र में कम होता है। परन्तु खेद जनक रुप से  विनाश कारी विकास के दौर में वन क्षेत्र निरंतर घटते जा रहे हैं। जंगल काटे जा रहे हैं,हजारो साल पुराने पेड़ काटकर कंकरीट का जंगल खड़ा किया जा रहा है।इस प्रवृत्ति में हम अपने प्राचीन धरोहरों मंदिरों को भी नहीं छोड़ रहे है।

इस समय उत्तर भारत ताप लहर के चपेट में है। मौसम तप रहा है,जिससे हीट स्ट्रोक यानि लू या लूह का खतरा बढ़ गया है। जो गर्मी से होने वाली सबसे गंभीर बीमारी है।

लू का कारण बढ़े हुए तापक्रम से शरीर का समायोजित न हो पाना है। पसीना निकलने की तंत्र विफल होने से शरीर को ठंडक पहुँचाने में असफल हो जाता है। शरीर के नमक वाले द्रव्यों सोडियम-पोटैशियम का अनुपात असंतुलित हो जाता है। शरीर का तापमान 10 से 15 मिनट के भीतर 106°F या इससे अधिक तक बढ़ सकता है। यदि व्यक्ति को आपातकालीन उपचार नहीं मिलता है तो गंभीर परिणाम हो सकते हैं।।

लू लगने के लक्षण 

लू लगने पर सिर में तेज दर्द,चक्कर आना, साँस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं होने लगती हैं। शुरुआत में इन लक्षणों की तीव्रता काफी कम होती है लेकिन समय के साथ-साथ ये बढ़ते जाते हैं। लू लगने पर अचानक से तेज बुखार होने लगता है और शरीर में गर्मी बढ़ती जाती है। लू लगने के बाद शरीर में गर्मी बढ़ने के बावजूद शरीर से पसीना नहीं निकलता है। जिससे उल्टी आना और शरीर में तेज दर्द होने लगता है। कमजोर इम्युनिटी वाले या शारीरिक रुप से कमजोर लोग लू लगने से बेहोश भी हो जाते हैं।

लू से बचने के उपाय :

यह सच है कि हर साल लू से कुछ लोगों की जान चली जाती है, लेकिन यदि गर्मी के मौसम में अपना ठीक से ख्याल रखे,जरूरी सावधानियाँ रखे तो लू प्रकोप से बचा जा सकता है। वृद्ध व सुगर,ब्लडप्रेशर से पिड़ित लोग इसके पहले शिकार होते है।इसलिए इन्हे विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए। लू से बचने के लिए गर्मियों के दिनों में हल्का भोजन,पूरी बांह के कपड़े पहनना नंगे पैर बाहर जाने से बचना चाहिए । सिंथेटिक वस्त्रों के बजाय हल्के रंग के सूती कपड़े पहनना चाहिए। गर्मी के दिनों में कभी भी खाली पेट घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए । ज्यादा देर तक धूप में रहना हो तो छाते का इस्तेमाल करना चाहिए। पानी या तरल पदार्थ अधिक मात्रा में पीना चाहिए।

लू से बचने के घरेलू उपाय

लू लगने पर कुछ घरेलू उपायों से भी लाभ होता है। इसके लिए भोजन में ठंडे तरल पेय पदार्थों का सेवन अधिक करना चाहिए ।  आम का पन्ना, प्याज, जीरा, सौंफ, मिश्री, धनिया, पुदीना, खसलू,गुलकंद, गुलाब जल,सब्जियों के सूप,नीबू-पानी का प्रयोग करना चाहिए ।

आयुर्वेदिक उपाय 

आयुर्वेद के अनुसार गर्मियों के दिनों में ठंडी तासीर वाली चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए। ठंडी तासीर वाली चीजों को खाने से शरीर में ठंडक बनी रहती है और लू नहीं लगती है। सेब का सिरका, चन्दनासव,बेल का शरबत,गिलोय का जूस, उशीरासव,जौ का सत्ता,मट्ठा का सेवन करना चाहिए । उस प्रकार हीट वेव या ताप लहर से बचाव संभव है ।

*.(लेखक आयुर्वेद चिकित्सक,लेखक एवं मुख्य संपादक- ईस्टर्न साइंटिस्ट जर्नल)

 #Heatweve #लू से कैसे बचे,गर्मी में सावधानियाँ,ताप से कैसे बचे,हीटवेव से बचाव के उपाय

 

 

Post a Comment

0 Comments