नेहरू वैश्विक दृष्टिकोण एंव समझ के नेता थे- पुलस्तेय

देवरिया 27 मई 2025 । आज शाम 7 बजे सोनूघाट स्थित पंचायत कैफे में इस्टर्न साइंटिस्ट एवं परिवर्तन शोध पत्रिकाओं के संयुक्त तत्वावधान में स्वतंत्रता सेनानी व प्रथम प्रधानमंत्री पं.जवाहर लाल नेहरु की पुण्यतिथि पर एक परिचर्चा आयोजित की गयी। 

पं.नेहरु के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के पश्चात परिवर्तन पत्रिका के संपादक डा.महेश सिंह ने “आज के वैश्विक परिवेश में नेहरु” विषय पर परिचर्चा को केन्द्रित करते हुए ईस्टर्न साइंटिस्ट के संपादक डॉ.अचल पुलस्तेय को विषय विस्तार के लिए आमंत्रित किया । जिसकी शुरुआत करते हुए डॉ.पुलस्तेय ने कहा कि 'नेहरू वैश्विक दृष्टिकोण एंव समझ के नेता थे, भारत की आजादी के शुरुआत में ही भारत के वैश्विक महत्व को स्थापित किया । शीत युद्ध के समय महाशक्ति से निरपेक्ष रहते हुए छोटे-छोटे देशों को साथ लेकर एक तीसरा शक्ति केन्द्र स्थापित किया । आज फिर दुनिया को ऐसे नेता की जरूरत है।'

अगले वक्ता के रूप में ऋषिकेश मिश्र ने कहा कि 'इस तरह की बैठकी और चर्चाओं की आज के समय मे सबसे ज्यादा जरूरत है क्योंकि आज पूरा विश्व बारूद की ढेर पर खड़ा है। बेलगाम शक्तियां हर तरफ अपना जाल बिछाने में लगी हुई हैं।' सुभाष राय ने अपनी बात रखते हुए कहा कि- 'नेहरू की वैचारिकी भारतीयता को मजबूती प्रदान करने वाली थी।' विनोद सिंह ने क्षेत्रीय इतिहास और संस्कृति को लिखने और संरक्षित करने पर जोर देते हुए वर्तमान की शिक्षा व्यवस्था पर भी अपनी चिंता व्यक्त की। डॉ. चतुरानन ओझा ने क्षेत्रीय इतिहास लेखन की समस्याओं पर अपनी बात रखते हुए कहा कि- 'भारत या भारत के किसी क्षेत्र विशेष का इतिहास लिखने के लिए सबसे पहले हमे एकांगी और कुंठित मानसिकता से बाहर निकलना होगा। क्योंकि भारत कई राष्ट्रीयताओं का देश है, जिसे भ्रामक रूप में एक राष्ट्रीयता के रूप में प्रचारित किया जा रहा है जो भारत की एकता और लोकतंत्र के लिए खतरा है।'

 उद्भव मिश्रा ने अपने वक्तव्य में कहा कि नेहरू ने इस देश की आत्मा को पहचाना और बिना किसी भेदभाव के इस लोकतंत्र में सभी जाति-धर्म के 18 वर्ष से ऊपर के लोगों को वोट देने का अधिकार दिया । कार्यक्रम के अंत में सरोज पांडेय ने 'मरने भी नहीं देंगे, जीने भी नहीं देंगे। ये खौफ की गली के उस्ताद सियासी हैं।' गीत सुनाकर वर्तमान समय की विडम्बनाओं पर सोचने के लिए विवश कर दिया ।

कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन देते हुए परिवर्तन पत्रिका के सम्पादक डॉ. महेश सिंह ने 'कबले बोलबू न चिरई अन्हरिया में' सुनाया। 

कार्यक्रम में अजय राय, पंचायत कैफे के संचालक अम्बरीश मल्ल, दीपक मल्ल, सन्देश श्रीवास्तव, वेदान्त पुलस्तेय आदि  मौजूद रहे



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