“तुम्हारे लिए” उद्भव मिश्र द्वारा रचित एक प्रभावशाली काव्य संग्रह है। यह संग्रह आधुनिक जीवन, मानवीय संवेदनाओं, प्रेम, वेदना और सामाजिक परिवेश की जटिलताओं को अभिव्यक्त करता है। उनके लेखन में भावनाओं की गहराई और विचारों की स्पष्टता का अनोखा समन्वय देखने को मिलता है। संग्रह की कविताएँ एक साधारण मनुष्य के संघर्ष, प्रेम, आकांक्षाओं और सामाजिक विडंबनाओं को बड़े ही प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती हैं।
भाषा और शैली की दृष्टि से उद्भव मिश्र की भाषा प्रवाहमयी
और सरल है,
जो पाठक को तुरंत जोड़ लेती है। शैली
में एक विशेष प्रकार की लयबद्धता है, जो काव्य सौन्दर्य को शिखर पर ले जाती है। शब्दों का चयन गहन और अर्थपूर्ण
है। कविताओं में शब्दों का ऐसा संयोजन है, कि भावनाओं की अभिव्यक्ति सहज और स्वाभाविक हो जाती है। मिश्र ने
कहीं-कहीं परंपरागत छंदों का भी प्रयोग किया है, जिससे कुछ रचनायें गीत की श्रेणी में आ जाती हैं।
उद्भव मिश्र ने इस संग्रह की कविताओं में मुख्य रूप से
प्रेम, सामाजिक विडंबनाओं, मानवीय संवेदनाओं और व्यक्तिगत आत्ममंथन को विषय बनाया
है। कविताओं में प्रेम की कोमलता के साथ-साथ समाज की कठोर वास्तविकताओं का सजीव
चित्रण मिलता है। 'प्रेम नहीं
क्रांति', 'क्रांति नहीं होगी',
'आत्महत्या नहीं हत्या है' जैसी कविताएँ सामाजिक मुद्दों पर तीखा प्रहार
करती हैं। वहीं, 'तुम्हारे लिए',
'खोजता हूँ', 'वर्ष गया यह बीत' जैसी कविताएँ व्यक्तिगत भावनाओं और आत्ममंथन का चित्रण
करती हैं।
संग्रह की कविताओं को अलग-अलग अनुभागों में विभाजित करके
देखने पर विषय वस्तु की स्पष्टता बनी रहती है। प्रत्येक अनुभाग एक विशिष्ट भाव या
विचारधारा को प्रस्तुत करता है।
प्रतीक और बिंब योजना की दृष्टि से कविताओं में प्रतीकों
और बिंबों का सजीव प्रयोग हुआ है। इन प्रतीकों के माध्यम से कवि ने गूढ़ भावनाओं
को सरलता से अभिव्यक्त किया है। जैसे प्रेम को नदी, वेदना
को पतझड़ और संघर्ष को पर्वत की ऊँचाई से प्रतीकात्मकता प्रदान किया है। 'पेड़', 'बरगद और स्कूल', 'चप्पलें' जैसी कविताओं में स्पष्ट रूप से झलकता है।
“तुम्हारे
लिए” की कविताओं में समाज का यथार्थ चित्रण बखूबी हुआ है। 'गांव में उतरा शहर', 'कवि तुम चुप रहो', 'शाहीन बाग में भारत माता' जैसी रचनाएँ बदलते सामाजिक परिवेश और ग्रामीण जीवन पर
आधुनिकता के प्रभाव को उजागर करती हैं। इस संग्रह की कवितायें न केवल भावनात्मक
बल्कि साहित्यिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं जो रचनात्मकता और विचारों की
गहराई एक विशेष स्थान प्रदान करती है। यह संग्रह पाठक को समाज के भीतर छुपी
विसंगतियों और विद्रूपताओं पर सोचने को मजबूर करता है।
रचनाकार- उद्भव मिश्र
आईएसबीएन:978-93-5667-471-4
मूल्य-₹ 120/
प्रकाशक-पेंसिल प्रकाशन, मुम्बई
* प्रतिष्ठित हिन्दी लेखक,कथाकर,कवि व समीक्षक।
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