वैश्विक श्रेष्ठ वैज्ञानिकों की सूची में भारत ?

वैश्विक श्रेष्ठ वैज्ञानिकों की सूची में भारत ?  

 वैश्विक श्रेष्ठ वैज्ञानिकों की सूची में भारत ? 


हालाँकि संतोष के लिए कहा जा रहा है पिछले साल के मुकाबले इस साल 5 नाम अधिक है,इस साल यह संख्या दोगुनी हो गई है।

. क्लेरिवेट एनालिटिक्स नामक इस संगठन की पिछले साल की सूची में पांच भारतीय वैज्ञानिकों को शामिल किया गया था. इस साल यह संख्या दोगुनी हो गई है।

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक इस सूची में भारत के सीएनआर राव का नाम शामिल है,जो भारतीय वैज्ञानिकों एक प्रतिष्ठित नाम है,प्रो.राव को भारत रत्न से सम्मानित व प्रधानमंत्री की वैज्ञानिक सलाहकार परिषद के सदस्य भी रहे हैं। इस सूची में प्रो. राव के  अलावा आईआईटी-कानपुर के अविनाश अग्रवाल, आईआईटी-मद्रास के रजनीश कुमार और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर दिनेश मोहन,एनआईटी-भोपाल से अजय मित्तल और ज्योति मित्तल को शामिल किया गया है। इसके अलावा भुवनेश्वर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज के संजीव साहू, हैदराबाद के इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर सेमी-एसिड ट्रॉपिक्स के राजीव वार्शने और कोयंबटूर की भारतीयार यूनिवर्सिटी के शक्तिवेल रतिना स्वामी को सूची में जगह दी गई है।

हालांकि इस मामले में चीन हमसे काफी आगे निकल गया है. वह 482 वैज्ञानिकों की संख्या के साथ इस सूची में तीसरे नंबर पर है. उससे आगे केवल अमेरिका और ब्रिटेन हैं जो क्रमशः 2,639 और 546 वैज्ञानिकों के साथ पहले और दूसरे नंबर पर हैं। सूची में शामिल भारतीय वैज्ञानिकों ने इस पर चिंता जताई है।उनका कहना है कि भारत में अकादमिक ढांचा ऐसा है कि यहां विज्ञान के क्षेत्र में ज्यादा शोध नहीं हो पाता. आईआईटी-कानपुर के अविनाश अग्रवाल का यह भी कहना है कि भारत जैसे देश में वैज्ञानिकों को उचित सम्मान नहीं मिलता ।

अविनाश का कथन बिल्कुल सच है,यह समस्या मात्र आज की नहीं हजारों साल चली आ रही है। इस समस्या को इतिहास में देखे तो हम  आर्यभट्ट, वाराहमिहिर,चरक,सुश्रुत,नागार्जुन को भी उतना ही सम्मान नहीं दिये,जितना गल्प कथाएं लिखने वालों को दिये ।आज भी जो सम्मान बाबाओं को मिलता वह वैज्ञानिकों के लिए सपना है। आर्यभट्ट, वाराह मिहिर ने बहुत पहले कह दिया कि चन्द्रग्रहण, सूर्यग्रहण एक खगोलीय घटना है,पर हमारे देश के आम लोग ही नहीं वीसी,प्रोफेसर भी राहु-केतु का ग्रास मान कर स्नान करते हैं।वैज्ञानिक सोच व बुद्धि की हालत अभी-अभी कुम्भ में देख चुके है हम,क्या अशिक्षित या क्या शिक्षित,क्या शहरी क्या ग्रामीण सब अमृत की तलाश में भीड़ गये । ऐसे में भला कैसे आशा की जा सकती है कि इस देश से वैज्ञानिकों की फौज निकलेगी ? आज की हालत तो यह है कि वैज्ञानिक चेतना को ही अपराध माना जा रहा है। वैज्ञानिक चेतना के लिए प्रश्न और तर्क पहली शर्त होती है,यही शर्त आज धर्म विरोधी घोषित की जा चुकी है। यदि वैश्विक श्रेष्ठ वैज्ञानिको की सूची में भारती वैज्ञानिकों नाम बढ़ना है,समाज में तर्क और प्रश्न को बढ़ावा देना होगा। जो समाज जितना ही तर्कशील होता है,जिस समाज में प्रश्न करने की जितनी अधिक गुंजाईश होती है वह समाज उतना ही अधिक वैज्ञानिक पैदा करता है।

 

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