डॉ.धनवंतरि त्यागी
शरीर, मन और आत्मा – तीनों से जुड़ी एक आवश्यक समझ
भाग 1: व्रत और उपवास की वास्तविक परिभाषा
व्रत (Vrata) |
उपवास (Upavasa) |
आध्यात्मिक संकल्प – जीवनशैली, व्यवहार और भावना का संयम |
शारीरिक शुद्धिकरण – आहार संयम, पाचन और दोष शमन |
ईश्वर के प्रति समर्पण, नियम, मौन, साधना |
शरीर को हल्का करके दोषों को बाहर निकालना |
इंद्रिय निग्रह, ब्रह्मचर्य, ध्यान |
आम और कफ को जलाना, अग्नि को जागृत करना |
भाग 2: आज का व्रत – एक भ्रमजाल
जन-सामान्य की व्रत-भोजन शैली:
- कूटू/सिंघाड़े के परांठे
- आलू की सब्जी, मखाने की खीर
- दही, तली चीज़ें, चीनी युक्त पेय
- व्रत नमकीन, तलने वाले फलाहारी पदार्थ
इसमें संयम नहीं, स्वाद है; शुद्धि नहीं, भारीपन है!
भाग 3: यह भोजन शरीर, मन और आत्मा को कैसे नुकसान पहुँचाता है?
आहार |
परिणाम |
आलू, परांठे |
भारीपन, मंदाग्नि |
दही |
कफ वृद्धि, एलर्जी |
मखाना-खीर |
मधुर रस → मोटापा |
तली चीजें |
आम संचय, जठरदाह क्षय |
जो इस प्रकार के व्रत से बढ़ सकती हैं:
- मोटापा
- मधुमेह
- स्किन एलर्जी
- कब्ज़, गैस, अपचन
- थकान व सुस्ती
- अनिद्रा
2. मन पर प्रभाव (Manasik):
कारण |
परिणाम |
व्रत में स्वादलोलुपता |
असंयम, तृष्णा |
व्रत को तृप्ति का उत्सव मानना |
इंद्रिय-विकार, चिड़चिड़ापन |
तला-भुना सेवन |
सुस्ती, अलसाहट, कम फोकस |
की शांति, ध्यान, स्थिरता व्रत से दूर हो जाती है।
3. आत्मा पर प्रभाव (Adhyatmik):
दोष |
परिणाम |
संयम का अभाव |
आत्मिक शक्ति में कमी |
तृप्ति केंद्रित भोजन |
ब्रह्मचर्य और सत्व का नाश |
दिखावे का व्रत |
कर्मकांड रहित, परिणामशून्य साधना |
व्रत
का वास्तविक लाभ – “आत्मिक विकास” – खो जाता है।
भाग 4: शास्त्र और पुराणों की सलाह – क्या खाएं व्रत में?
मार्कण्डेय पुराण, गरुड़ पुराण, चरक संहिता, गृह्यसूत्रों आदि के
अनुसार उपयुक्त व्रत आहार:
खाद्य |
गुणधर्म |
लौकी, तोरी, परवल, गाजर |
कफ शमन, पाचन सुधारक |
फल – पपीता, अमरूद, सेब |
रसायन, रुचिकर |
उबली मूंग, हरी सब्जियाँ |
सुपाच्य, अग्निवर्धक |
छाछ (नमक व हींगयुक्त), जौ यव जल |
लघु, अग्निदीपन |
पंचकोल काढ़ा, हर्बल जल |
आम शोधन |
गुनगुना जल, जलजीरा |
वात-कफ हर |
भाग 5: व्रत का सही तरीका – शरीर, मन और आत्मा की रक्षा कैसे करें?
स्तर |
उचित दृष्टिकोण |
शरीर |
हल्का, सुपाच्य, लघु, अग्निवर्धक भोजन |
मन |
मौन, ध्यान, इंद्रिय निग्रह, सत्संग |
आत्मा |
संयम, उपासना, पूजा, ब्रह्मचर्य |
अंतिम संदेश (सार):
“व्रत वह नहीं जो पेट भरे, व्रत वह है जो दोष हर ले।”
आधुनिक व्रत भोजन आपकी स्वास्थ्य, मन:शांति और आध्यात्मिक उन्नति – तीनों को कमजोर
करता है।
शास्त्र सम्मत व्रत आहार अपनाकर ही आप सच्चे व्रत के फल के अधिकारी बनते हैं।
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