कहने को तो हम बात-बात में राष्ट्र की बात करते हैं पर देश के दूसरी भाषाओं के महान कलाकारों की उपेक्षा कर देते है। खुद को हिन्दुस्तान समझ लेते हैं। शायद इसीलिए असमिया भारत के एक महान कलाकार को हिन्दी पट्टी में श्रद्धांजलि के दो शब्द भी नहीं निकल सके । जिसके असमय मृत्यु पर असम की जनता ने तीन दिन का शोक मनाया, शवयात्रा में लाखों की भीड़ शायद ही देश के किसी कलाकार के लिए रही हो या आगे होगी ? जुबिन की लोकप्रियता का कारण उनकी गीतों में आम लोगों का स्वर था।
आइये देर से ही जुबिन को श्रद्धांजलि में कुछ शब्द समर्पित करते है।
2025 के 19 सितम्बर को सिंगापुर में स्कूबा डाइविंग दुर्घटना के बाद जुबीन गर्ग का निधन हो गया। पानी के नीचे उन्हें सांस लेने में दिक़्क़त हुई, वहाँ से बचाने के बाद कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) देने पर भी स्थानीय अस्पताल के गहन चिकित्सा कक्ष में भर्ती करने के बाद उन्हें मृत घोषित किया गया। वह सिंगापुर में नॉर्थ ईस्ट इंडिया फेस्टिवल में भाग लेने गए थे, जहाँ उनका कार्यक्रम प्रस्तुत करने का भी कार्यक्रम था।
मेरी यात्रा कथा “कुरुना से
कामाख्या" (English Version- Mystic current: a folk journey
to Kamakhya ) के “बिहु" अध्याय के
अंत में जुबिन गर्ग का उल्लेख प्रसिद्ध बिहु कलाकार के रूप में है।
जुबिन गर्ग (असमिया: জুবিন গাৰ্গ, अंग्रेज़ी: Zubeen Garg, 18 नवंबर 1972
– 19 सितम्बर 2025)
भारतीय प्रसिद्ध और असम के
सबसे बड़ा गायक, अभिनेता, संगीतकार, और गीतकार थे। जुबिन ने असमिया, हिन्दी, बंगाली, कन्नड़, उड़िया, तमिल, तेलगु, पंजाबी, नेपाली, और मलयालम,अंग्रेजी फ़िल्मों में भी गा चुके हैं। वे
असम के जोरहाट से हैं। 1992
में जुबिन का पहला असमी एल्बम
"अनामिका" रिलीज़ हुआ। जुबिन ड्रम, ढोल, मैंडोलिन और इलेक्ट्रॉनिक कीबोर्ड बजाने में माहिर थे।
गर्ग का जन्म असमिया राजपुरोहित परिवार में तुरा, मेघालय
में मोहिनी मोहन बोरठाकुर और स्वर्गीय इली बोरठाकुर के घर हुआ था। उनका नाम
संगीतकार जुबिन मेहता के नाम पर रखा
गया था। वे अपने गोत्र गर्ग को अपने सरनेम के रूप में लिखते थे। दर असल असम के सभी ब्राह्मण परिवार 8वीं
से 16वीं सदी के बीच पाल,कोच राजाओं द्वारा वैदिक कर्मकर्मकाण्ड के बंगाल,मिथिला,उत्तर
प्रदेश के कन्नौज से बुलाकर बसाये गये थे।
जो अपना गोत्र तो जानते है पर असमिया संस्कृति आत्मसात कर चुके है,मांसाहार मद्यपान
आदि उनका सामान्य व्यवहार है। इस स्रोत के अनुसार जुबिन का संबंध उत्तर प्रदेश से भी
है। जबकि उत्तर प्रदेश के लोग इस महान कलाकार को बिल्कुल नहीं जानते है। हालाँकि
जुबिन गर्ग खुद को अधार्मिक मानते थे, कहते थे कि उनका कोई जाति या धर्म नहीं है।
गर्ग की छोटी बहन जोंगकी बोरठाकुर एक अभिनेत्री और
गायिका थीं, जिनकी फरवरी 2002 में सोनितपुर जिले में
एक कार दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी, जब वे अपने
सह-कलाकारों के साथ स्टेज शो करने जा रही थीं।उन्होंने 2002 में
जोन्की बोरठाकुर की याद में एल्बम शिशु रिलीज़ किया था। उनकी एक और बहन डॉ. पाल्मे
बोरठाकुर हैं।
गर्ग ने तमुलपुर हायर सेकेंडरी स्कूल से मैट्रिक की
परीक्षा पास की और फिर बी. बोरूआ कॉलेज से विज्ञान स्नातक की डिग्री हासिल की लेकिन अपने गायन करियर पर ध्यान केंद्रित करने के लिए उन्होंने पढ़ाई छोड़
दी। गर्ग ने 4 फरवरी 2002 को असम के
गोलाघाट की फैशन डिजाइनर गरिमा सैकिया से शादी की। 27 अगस्त
को 2024, जुबीन गर्ग को विज्ञान और प्रौद्योगिकी
विश्वविद्यालय, मेघालय द्वारा डॉक्टर ऑफ लिटरेचर (डी. लिट.)
की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।
संगीतमय जीवन की शुरुआत
गर्ग ने तीन साल की उम्र से ही गाना शुरू कर दिया था।उनकी
पहली गुरु उनकी माँ थीं, जहाँ से उन्होंने गाना सीखा और फिर
उन्होंने पंडित रॉबिन बनर्जी से 11 साल तक तबला सीखा। गुरु
रमानी राय ने उन्हें असमिया लोक से परिचित कराया। गर्ग अपने स्कूल के दिनों से ही
गीतों की रचना कर रहे थे और गायकों को गाने के लिए देते थे।
गायन करियर की शुरुआत (1992-1995)
गर्ग को एक पेशेवर गायक बनने का आत्मविश्वास तब मिला
जब उन्होंने 1992 में आयोजित युवा महोत्सव में अपने पश्चिमी एकल प्रदर्शन के
लिए स्वर्ण पदक जीता।और इसके बाद उन्होंने अपने पहले असमिया एल्बम अनामिका के साथ पेशेवर संगीत में प्रवेश
किया, जिसे नवंबर 1992 में रिलीज़ किया
गया था। गर्ग के पहले रिकॉर्ड किए गए गाने "तुमी जुनू परिबा हुन" थे और "तुमी जुनाकी हुबाख" एल्बम रितु के
लिए लेकिन 1993 में रिलीज़ किया गया था। उन्होंने कई अन्य
एल्बम जारी किए जैसे सपुनर सुर (1992), जुनाकी मोन (1993), माया (1994), आशा (1995) इत्यादि। 1995 में मुंबई आने से पहले, उन्होंने अपना पहला बिहू
एल्बम उजान पिरिति जारी
किया जो व्यावसायिक रूप से सफल रहा।
बॉलीवुड गायन कैरियर (1995-2003)
1995 के मध्य में, गर्ग बॉलीवुड संगीत उद्योग में काम करने के लिए मुंबई चले गए जहाँ उन्होंने अपना पहला इंडीपॉप एकल एल्बम चांदनी रात शुरू किया। बाद में, उन्होंने कुछ हिंदी एल्बम और रीमिक्स गाने
रिकॉर्ड किए जैसे चंदा (1996), श्रद्धांजलि खंड: 1,2,3 (1996-97), जलवा
(1998), यही कभी (1998), जादू (1999), स्पर्श (2000),
आदि। उन्हें गद्दार (1995), दिल से (1998), डोली सजा के रखना (1998), फ़िज़ा (2000), कांटे (2002) जैसी विभिन्न फिल्मों के लिए
गाने का मौका मिला। 2003 में, उन्होंने
"सपने सारे" गाया और फिल्म मुद्दा से "ख्वाबों की", फिल्म चुपके से से "मैंगो अगर दिल से तो
खुदा", फिल्म मुंबई से
आया मेरा दोस्त और फिल्म जाल से "जो प्यार तुमने".
बंगाली गायन कैरियर (2003-2006)
बॉलीवुड और असमिया उद्योगों में गायन के अलावा, उन्होंने
2003 में बंगाली संगीत उद्योग में पदार्पण किया, जहां उन्होंने फिल्म मोन में दो गाने गाए। अगले वर्ष, उन्होंने फिल्म शुधु तुमी में तीन गाने गाए और फिल्म के
संगीत निर्देशक थे। 2005 में उन्होंने फिल्म प्रेमी में ओ
बॉन्डहुरे और लागेना
भालो गाया।
अभूतपूर्व गीत "या अली" और अधिक (2006-वर्तमान)
उन्हें बॉलीवुड में सबसे बड़ा ब्रेक फिल्म गैंगस्टर से मिला, जहाँ उन्होंने या अली' गाना गाया था। इस गाने ने उन्हें 2006 में सर्वश्रेष्ठ पार्श्व
गायक का ग्लोबल इंडियन फिल्म अवार्ड्स (GIFA) दिलाया। उनका
अगला हिंदी एल्बम ज़िंदगी 2007 में रिलीज़ हुआ।2008 में उन्होंने फिल्म मोन माने ना से "मोन माने ना",
फिल्म चिरोडिनी तुमी जे अमर से "पिया रे पिया रे" और फिल्म लव
स्टोरी से "मोन जेटे चाय शुधु" जैसे कई
बंगाली गाने रिकॉर्ड किए।

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महान कलाकार को विनम्र श्रद्धांजलि
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