भविष्य के कुम्भ की व्यवस्था ?
परम्परा के अनुसार हर तीन साल पर कुम्भ का आयोजन होता है,आगे भी होता रहेगा । वर्तमान के प्रयाग कुम्भ के तीन साल बाद अगला कुम्भ उज्जैन में लगेगा। इसके तीन साल बाद नासिक, फिर इसी क्रम में हरिद्वार में लगेगा। इसके बाद फिर प्रयाग में लौटेगा कुम्भ । आज से यह 12वाँ साल सन् 2037 होगा। यहाँ तीन नदियों के संगम के कारण यह कुंभ विशेष हो जाता है।अगले कुंभ में भीड़,अव्यवस्था और दुर्घटना से बचने के लिए वही करना होगा जो भीड़ जुटाने के लिए किया गया है। यानि सरकार,साधु-संतो, प्रवचन- कर्ताओं, धर्मगुरुओं को मीडिया के माध्यम से प्रचारित करना होगा कि इन पर्वों पर स्थानीय नदियों,पोखरों में स्नान का भी वही फल होता है,जो प्रयाग में होता है।कण-कण में भगवान है तो बूंद-बूंद जल में भी गंगा हैं।
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चित्र-गुगल से साभार |
परम्परा के अनुसार हर तीन साल पर कुम्भ का आयोजन
होता है,आगे भी होता रहेगा । वर्तमान के प्रयाग कुम्भ के तीन साल बाद अगला कुम्भ
उज्जैन में लगेगा। इसके तीन साल बाद नासिक, फिर इसी क्रम में हरिद्वार में लगेगा। इसके
बाद फिर प्रयाग में लौटेगा कुम्भ । आज से यह 12वाँ साल सन् 2037 होगा। यहाँ तीन
नदियों के संगम के कारण यह कुंभ विशेष हो जाता है।
उस समय यानि 2037 में देश की आबादी कम से कम 1
अरब 60-75 करोड़ से अधिक हो सकती है। जिसमें हिन्दू या सनातनियों की संख्या एक अरब
से ऊपर होगी । धार्मिक पर्यटन का जुनून यदि ऐसा ही बना रहा तो निश्चित है आज से कई
गुना भीड़ होगी। ऐसी स्थिति में किसी भी सरकार व्यवस्था असंभव सी होगी, क्योंकि
प्रयाग संगम 40 वर्ग किलोमीटर का है, जिसमें करीब 20 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र अखाड़ो,साधु,संतो,वीआईपी,कल्पवासियों
के लिए आवंटित होता है,बचा 20 किलोमीटर का क्षेत्र,जिसमें आम पब्लिक स्नानार्थी
स्नान कर सकते हैं। एक आदमी के लिए आसानी से स्नान करने करने,घूमने के लिए 1 वर्ग
मीटर जगह चाहिए। भीड़ की स्थिति में यह जगह आधे मीटर हो जाती है। इस तरह एक समय
में अधिकतम 40 हजार लोग आ सकते हैं। अमावश्या आदि पर्वो पर यह भीड़ एक लाख से ऊपर
हो जाती है। इस तरह भीड़ में भी देखे तो 28 दिन में 28 से 40 लोगों की क्षमता है। चालीस
लाख लोग भी कम नहीं होती है,1 हजार स्कूल के बच्चे जब स्कूल से निकलते है,तो सड़क
जाम हो जाती है,फिर 20 वर्ग किलोमीटर में 40 लाख लोग होगे तो कल्पना की जा सकती
है। यह मनोवैज्ञानिक तथ्य है कि भीड़ चेतना हीन होती है,जहाँ दुर्घटना की अधिकतम्
संभावना होती है। इस भीड़ में व्यवस्था देखने वाले लाखों अधिकारी कर्मचारी,दुकानदार,मल्लाह,साधु
संत भी है। ऐसी स्थिति में चालीस करोड़ का सरकारी व मीडिया का दावा कितना सच हो
सकता है ? एक क्षण ठहर को सोचा जा सकता है,फिलहाल शिक्षित
हो या अनपढ़,किसी को सोचने की फुर्सत होती तो यह भीड़ कत्तई नहीं होती । न सोचने
का कारण भी सरकार, मीडिया, प्रवचनकर्ताओं और नये ज्योतिषियों की मिथ्या बयान बाजी
है,जो 144 साल का योग कह कर प्रचारित किये हैं। इस स्थिति में किसी भी सरकार या दुनिया
की कोई भी तकनीक नहीं सम्हाल सकती है। आबादी
बढ़ने से वैसे भी भीड़ बढ़ने की संभावना बढ़ती जा रही है,नीम चढ़ा करैला साबित हुआ
है प्रचार ।
अब बात नदियों
की करते है,नदियों के प्रदूषण और निरंतर कम होते जल की समस्या से दुनिया वाकिफ है।
अगले कुंभ यानि 12 साल बाद नदियों की क्या स्थिति होगी यह भी चिंता का विषय है ।
छोड़िए वर्तमान को,जो होना था हो गया,व्यवस्था-अव्यवस्था बीत रही है,पर अगले कुंभ में क्या होगा इस पर विचार जरूरी है। आदमी ही नहीं सभी जीवों के अन्दर प्रकृति ने एक शक्ति दिया है वह यह कि अपनी गलतियों,समस्याओँ से सीखता है। हमें भी सीखना चाहिए । यदि महान होने के भ्रम में नहीं सीख सकते है प्रकृति के नियम का अपमना होगा,फिर क्रुद्ध प्रकृति निश्चित ही प्रतिकार में दण्डित करेगी जो भयावह होगा।
अगले कुंभ में भीड़,अव्यवस्था और दुर्घटना से बचने के लिए वही करना होगा जो भीड़ जुटाने के लिए किया गया है। यानि सरकार,साधु-संतो,प्रवचनकर्ताओं,धर्मगुरुओं को मीडिया के माध्यम से प्रचारित करना होगा कि इन पर्वों पर स्थानीय नदियों,पोखरों में स्नान का भी वही फल होता है,जो प्रयाग में होता है।कण-कण में भगवान है तो बूंद-बूंद जल में भी गंगा हैं। रविदास,रहसु,गोरख आदि उपदेशों का आगे करना होगा-“मन चंगा तो कठौती में गंगा” जैसे युक्तियों को सतह पर लाना होगा । दुर्घटनाओं को रोकने के लिए अमरनाथ यात्रा की तरह स्वास्थ्य मानक तय करना होगा। बच्चो,अतिवृद्धों,बीमारों,हृदय रोग ब्लडप्रेसर,सुगर के रोगियों दिब्यांगो के लिए यह चेतावनी जारी करनी होगी कि आपको भीड़,पैदल चलने,जाम आदि से परेशानी हो सकती है। इसलिए कुंभ मेला में आने की योजना इन समस्याओं पर विचार-विमर्श करने के बाद ही बनायें। इसके अलावा आधुनिक युग के व्यवसायिक तकनीक का उपयोग किया जा सकता है। यह तो आप जानते ही है कि आपदा से ही अवसर निकलता है।
अगले कुंभ मे अमृतकुंभ का जल 100 Ml के बोतल मे अमेजन, फ्लिपकार्ट आदि के माध्यम से 2 से 5 सौ रुपये में हर इच्छित व्यक्ति के लिए उपलब्ध करना होगा। संस्कृति मंत्रालय को भी एक अमृतकुंभ जल आपुर्ति विभाग खोलना चाहिए जो सस्ते रेट पर या राशन की दुकान पर फ्री मे उपलब्ध कराये। इस योजना की सफलता के लिए सबसे जरुरी है संतो,प्रवचनी बाबाओं,यूट्यूबरों, मीडिया को यह प्रचारित करना होगा कि बोतल वाले कुम्भामृत जल से स्नान मुहुर्तो पर स्नान करने अधिक पुण्य मिलेगा क्योंकि यह शुद्ध है। यदि ऐसा नहीं किया गया जो निश्चित है अगले कुंभ में आज से भी भयावह स्थितियों का सामना करना होगा।
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