आतंकवाद का इतिहास

डॉ.ए.कीर्ति*

आतंकवाद, हिंसा का एक ऐसा रूप है जिसका उपयोग राजनीतिक, धार्मिक या वैचारिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भय और आतंक फैलाने के उद्देश्य से किया जाता है। इसका इतिहास उतना ही पुराना है जितना कि संगठित संघर्ष का।

प्राचीन काल से मध्य युग तक:
आतंकवाद, हिंसा का एक ऐसा रूप है जिसका उपयोग राजनीतिक, धार्मिक या वैचारिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भय और आतंक फैलाने के उद्देश्य से किया जाता है। इसका इतिहास उतना ही पुराना है जितना कि संगठित संघर्ष का। भारत के प्राचीन इतिहास में पुराणों में भी देव,दानव,दैत्य नाग संघर्ष को आतंकवाद वाद के रूप मे देखा जा सकता है।जो अपने विचार और राज्य विस्तार के किये जाते थे।
प्राचीन इतिहास में, राजनीतिक विरोधियों या शासकों को डराने के लिए हिंसा का उपयोग किया जाता था। पाश्चात्य दुनिया में रोमन साम्राज्य में तानाशाहों की हत्याएं और यहूदिया में रोमन शासन के विरोधियों द्वारा किए गए हमले इसके शुरुआती उदाहरण माने जा सकते हैं। मध्य युग में, धार्मिक समूहों द्वारा किए गए हिंसक कृत्य भी आतंकवाद के प्रारंभिक रूप थे। 11वीं शताब्दी में, "हशाशीन" नामक एक इस्माइली शिया मुस्लिम संप्रदाय ने अपने राजनीतिक विरोधियों की हत्या करके आतंक फैलाया था।

आधुनिक आतंकवाद का उदय:
आधुनिक आतंकवाद की जड़ें 19वीं शताब्दी के अंत और 20वीं शताब्दी की शुरुआत में देखी जा सकती हैं। इस दौरान, अराजकतावादी आंदोलनों ने राजनीतिक परिवर्तन लाने के लिए हिंसा का इस्तेमाल किया। रूस में ज़ारशाही शासन के खिलाफ "नरोदनाया वोल्या" जैसे समूहों ने बम विस्फोट और राजनीतिक हत्याओं का सहारा लिया। प्रथम विश्व युद्ध के बाद, राष्ट्रवादी और अलगाववादी आंदोलनों ने अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आतंकवादी tactics का उपयोग करना शुरू कर दिया।
20वीं शताब्दी का आतंकवाद:
20वीं शताब्दी में आतंकवाद ने एक नया रूप ले लिया। उपनिवेशवाद के पतन के बाद, कई नव स्वतंत्र देशों में राजनीतिक अस्थिरता और संघर्ष ने आतंकवादी समूहों के उदय को बढ़ावा दिया। शीत युद्ध के दौरान, विचारधारा-आधारित आतंकवाद भी प्रमुख हो गया, जिसमें वामपंथी और दक्षिणपंथी दोनों तरह के चरमपंथी समूहों ने हिंसा का इस्तेमाल किया।
1960 के दशक में, विमान अपहरण जैसी अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घटनाएं सामने आईं, जिसने दुनिया का ध्यान इस समस्या की ओर खींचा। 1972 के म्यूनिख ओलंपिक में इजरायली एथलीटों की हत्या और 1979 में ईरान में अमेरिकी दूतावास पर कब्जा जैसी घटनाओं ने आतंकवाद के वैश्विक प्रभाव को उजागर किया।
1980 और 1990 के दशक में, धार्मिक आतंकवाद का उदय हुआ, जिसमें विभिन्न धार्मिक चरमपंथी समूहों ने अपने राजनीतिक और धार्मिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हिंसा का इस्तेमाल किया। अल-कायदा का उदय, जिसने 11 सितंबर, 2001 को संयुक्त राज्य अमेरिका पर हमला किया, धार्मिक आतंकवाद के एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है।
21वीं शताब्दी का आतंकवाद:
21वीं शताब्दी में आतंकवाद एक जटिल और बहुआयामी खतरा बन गया है। इंटरनेट और सोशल मीडिया के प्रसार ने आतंकवादी समूहों के लिए प्रचार करना, भर्ती करना और अपने अभियानों का समन्वय करना आसान बना दिया है। "लोन वुल्फ" हमले, जिसमें व्यक्ति किसी संगठन से सीधे जुड़े बिना आतंकवादी कृत्य करते हैं, भी एक बढ़ती हुई चिंता का विषय हैं।
आज, दुनिया भर में कई आतंकवादी समूह सक्रिय हैं, जिनके अलग-अलग लक्ष्य और विचारधाराएं हैं। इनमें से कुछ समूह क्षेत्रीय स्वायत्तता या स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे हैं, जबकि अन्य वैश्विक जिहाद या राजनीतिक व्यवस्था में कट्टरपंथी बदलाव लाना चाहते हैं।
निष्कर्ष:
आतंकवाद का इतिहास हिंसा और राजनीतिक उद्देश्यों के जटिल अंतर्संबंध को दर्शाता है। यह एक गतिशील और लगातार विकसित हो रहा खतरा है, जिसने विभिन्न युगों में अलग-अलग रूप लिए हैं। प्रौद्योगिकी में प्रगति और भू-राजनीतिक परिवर्तनों के साथ, आतंकवाद के स्वरूप और तरीकों में बदलाव जारी रहने की संभावना है। इस खतरे का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए इसके ऐतिहासिक संदर्भ और वर्तमान स्वरूप को समझना आवश्यक है।
(*लेखक एस पी एम कालेज,दिल्ली विश्वविद्यालय में इतिहास की असि.प्रोफेसर हैं.)
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